home page

UP News: वाराणसी से शुरू हुआ नया प्रयोग, आबादी की जमीन पर मिलेगा मुआवजा

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में आम जनता और जमीन मालिकों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। राज्य में पहली बार आबादी की जमीन के लिए भी मुआवजा मिलने लगा है, और इसकी शुरुआत वाराणसी से की गई है।

 | 
UP News: वाराणसी से शुरू हुआ नया प्रयोग, आबादी की जमीन पर मिलेगा मुआवजा

Hindi News Line, UP News: उत्तर प्रदेश में आम जनता और जमीन मालिकों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। राज्य में पहली बार आबादी की जमीन के लिए भी मुआवजा मिलने लगा है, और इसकी शुरुआत वाराणसी से की गई है। इससे पहले केवल निर्माणाधीन भूमि पर मुआवजा ही प्रदान किया जाता था। इस नए प्रावधान को पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए शासन में प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है, जिससे जमीन मालिकों को कानूनी अधिकार और आर्थिक सुरक्षा दोनों मिलेगी।

जमीन के अधिग्रहण पर मुआवजा

उत्तर प्रदेश सरकार आबादी की जमीन के अधिग्रहण पर मुआवजा देने जा रही है। शर्त यह है कि प्रभावित व्यक्ति का जमीन पर कब्जा 1951 से पहले से होना चाहिए। सूबे में यह व्यवस्था पहली बार बनारस में लागू की गई है, जहां चार हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है। इससे पहले केवल निर्माणाधीन भूमि पर मुआवजा देने का प्रावधान था। बनारस में इस नए प्रयोग की सफलता के बाद शासन ने जिला प्रशासन को पूरे प्रदेश में इस प्रावधान को लागू करने का प्रस्ताव भेजा है।

मुआवजा देने का निर्णय 

परंपरागत रूप से किसी परियोजना में जमीन अधिग्रहण के दौरान केवल खतौनी में दर्ज नाम के अनुसार ही प्रभावित व्यक्ति को मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा मिलती थी। आबादी की जमीन पर कब्जा रखने वाले व्यक्तियों को अब तक केवल उनके निर्माण की लागत के बराबर मुआवजा मिलता था। हाल ही में मुख्यमंत्री ने विभिन्न उद्योग, सड़क चौड़ीकरण और अन्य परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए निर्देश दिए हैं कि हर प्रभावित व्यक्ति को हर हाल में उसकी क्षतिपूर्ति और पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसी दिशा में जिला प्रशासन ने बनारस में पहली बार आबादी की जमीन पर कब्जा रखने वाले व्यक्तियों को भी मुआवजा देने का निर्णय लिया है।

358 एकड़ जमीन अधिग्रहित

निर्माणाधीन बाबतपुर एयरपोर्ट के विस्तार के लिए प्रशासन ने लगभग 358 एकड़ जमीन अधिग्रहित की है। इसमें से करीब 80 फीसदी भूमि लोगों की सहमति से हासिल की जा चुकी है, जबकि शेष भूमि आवश्यकतानुसार कानून के तहत अधिग्रहित की जा रही है। इसी प्रक्रिया के अंतर्गत बसनी, घमहापुर और पुरारघुनाथपुर क्षेत्रों में 1000 से अधिक व्यक्तियों को आबादी की जमीन का मुआवजा भी प्रदान किया जा रहा है।

इन सभी व्यक्तियों का जमीन पर कब्जा 1951 से पहले का था, इसलिए सरकार ने चार हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की है। प्रशासन के अनुसार, पीएम स्वामित्व योजना के तहत आबादी की जमीन पर संबंधित व्यक्तियों को घरौनी प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था। मालिकान होने के नाते उन्हें मुआवजा राशि दी जा रही है। यही जमीन प्रभावित लोगों का एकमात्र आधार थी, इसलिए उनके पुनर्वास के लिए मुआवजा दिया गया।

जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि सूबे में यह पहली बार है जब आबादी की जमीन का मुआवजा दिया गया है। अब इस व्यवस्था का प्रस्ताव शासन में भेजा गया है, ताकि अन्य जिलों में भी इसी नए प्रावधान के तहत जमीन अधिग्रहण किया जा सके।

Latest News

Trending

You May Like