UP में वाराणसी समेत 3 जिलों में तेजी से घटने लगा गंगा-यमुना नदी का पानी, लोगों को मिली राहत
UP Floods: देश में इस बार हुई भारी बारिश के कारण कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बने। उत्तर प्रदेश के वाराणसी, प्रयागराज और आगरा जैसे बड़े जिलों में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था, जिससे लोग दहशत में थे।

UP Ganga Water level : देश में इस बार हुई भारी बारिश के कारण कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बने। उत्तर प्रदेश के वाराणसी, प्रयागराज और आगरा जैसे बड़े जिलों में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था, जिससे लोग दहशत में थे। "उत्तर प्रदेश के वाराणसी, प्रयागराज और आगरा के लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर है। गंगा और यमुना का जलस्तर लगातार घट रहा है, जिससे बाढ़ प्रभावित इलाकों में जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है।
हालांकि अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होते नज़र आ रहे हैं। गंगा और यमुना का जलस्तर लगातार हर घंटे कम हो रहा है, जिससे प्रभावित इलाकों के लोगों ने राहत की सांस ली है। गुरुवार का दिन इन जिलों के बाढ़ प्रभावित निवासियों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया, क्योंकि पानी घटने से जनजीवन पटरी पर लौटने की संभावना बढ़ गई है। गुरुवार दोपहर से उत्तर प्रदेश के वाराणसी, प्रयागराज और आगरा में गंगा और यमुना का जलस्तर प्रति घंटे घटना शुरू हो गया। जलस्तर स्थिर होने से तटवर्ती लोग डर हुए थे। घटाव शुरू होते ही इलाकों के लोग ने राहत की सांस ली हैं।
ढेलवरिया और लोहता के तटवर्ती क्षेत्रों में भी वरुणा किनारे पर संकट
यूपी के वाराणसी में लगभग चौबीस घंटे की स्थिरता के बाद गुरुवार दोपहर से गंगा में आधा सेमी प्रति घंटे की कमी होने लगी। जलस्तर स्थिर होने से तटवर्ती लोग डर गए। घटाव शुरू होते ही वह राहत की सांस लेने लगी। रात 10 बजे राजघाट गेज पर बहाव 70.79 मीटर था। बाढ़ के कारण हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में शवदाह हुआ, जबकि मणिकर्णिका घाट पर शवों को नावों से ले जाना पड़ा। सड़कों और गलियों में दशाश्वमेध, शीतला और राजेंद्र प्रसाद के घाटों पर तर्पण करने के लिए बैठना पड़ा है। अस्सी घाट पर भी यह दर्द दिखाई दिया। कोनिया से लेकर ढेलवरिया और लोहता के तटवर्ती क्षेत्रों में भी वरुणा किनारे पर संकट है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को कुछ राहत
गुरुवार को आगरा और मथुरा में यमुना जलस्तर में लगातार गिरावट के बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को कुछ राहत मिली। गुरुवार रात आठ बजे तक, यमुना का जलस्तर 166.65 मीटर पर गिर गया, जो अभी भी खतरे के निशान से 67 सेंटीमीटर ऊपर है। पिछले 20 घंटे में जलस्तर में 31 सेंटीमीटर की गिरावट दर्ज की गई है।
यमुना के जलस्तर में गिरावट के बावजूद, जयसिंहपुरा खादर और वृंदावन खादर वाले क्षेत्रों के लोगों को बाढ़ से अभी भी धीरे-धीरे राहत मिल रही है। मथुरा में यमुना का जलस्तर 167.67 मीटर था। गुरुवार को लगातार तीसरे दिन भी यमुना के जलस्तर में राहत देने वाली गिरावट दर्ज की गई। गुरुवार रात आठ बजे यमुना का जलस्तर 166.65 मीटर तक गिर गया, जो बीती रात एक बजे 166.96 मीटर पर था। इस गिरावट के बाद, यमुना में डूबने वाले घाटों की सीढ़ियां भी बाढ़ से बचने लगी हैं।
गुरुवार को गोकुल बैराज से निकाले गए डिस्चार्ज भी घटकर 1.18 लाख क्यूसेक हो गए हैं। ताजेवाला के हथिनी कुंड बांध से 24 हजार क्यूसेक और ओखला बैराज से 42 हजार 600 हजार क्यूसेक निकाल रहा है। राज्य में बाढ़ ने 58 गांवों को प्रभावित किया है, जिनमें 33 गांवों की जनसंख्या और 25 गांवों की फसल प्रभावित हुई है। बाढ़ ने तीन गांवों को नष्ट कर दिया है।
यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर
प्रयागराज में भी गुरुवार को गंगा-यमुना के जलस्तर में कमी जारी रही, लेकिन पूरे दिन में सिर्फ तीन सेंटीमीटर की कमी से बाढ़ पीड़ित लोग चिंतित हैं। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जलस्तर फिर से बढ़ेगा। जिले के अफसरों का ध्यान टोंस पर है। अधिकारियों ने कहा कि इटावा में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है और डलमऊ में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, इसलिए जलस्तर दो से तीन दिन में फिर से बढ़ने की उम्मीद है।
अधिक पानी आने की उम्मीद
सुबह आठ बजे नैनी में यमुना का जलस्तर 83.84 मीटर था। जो पिछले चौबीस घंटों की तुलना में सिर्फ छह सेंटीमीटर कम था। गुरुवार सुबह फाफामऊ में जलस्तर 84.09 था, जो पिछले 24 घंटे से चार सेंटीमीटर कम था। वहीं नैनी में आठ सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई। रात आठ बजे नैनी में बारह घंटे से महज पांच सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई। जबकि नैनी में दो सेंटीमीटर और फाफामऊ में तीन सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई। एडीएम वित्त एवं राजस्व विनीता सिंह ने कहा कि अभी अधिक पानी आने की उम्मीद है। बारिश ने यह पानी बनाया है। जो दो से तीन दिन में यहां पहुंच सकता है।