हरियाणा में बदलेंगे सियासी समीकरण, INLD खेलेगी हुड्डा के गढ़ में नया दांव, रोहतक रैली से राजनीति में नई हलचल
Haryana Politics: हरियाणा की राजनीति में चौ. देवीलाल द्वारा स्थापित इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) एक बार फिर सुर्खियों में है। पार्टी के मौजूदा प्रमुख अभय चौटाला आगामी 25 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में एक विशाल रैली का आयोजन करने जा रहे हैं।

INLD 25 September Rohatk rally: हरियाणा की राजनीति में चौ. देवीलाल द्वारा स्थापित इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) एक बार फिर सुर्खियों में है। पार्टी के मौजूदा प्रमुख अभय चौटाला आगामी 25 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में एक विशाल रैली का आयोजन करने जा रहे हैं। यह रैली न केवल पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवी लाल की जयंती के अवसर पर आयोजित की जा रही है, बल्कि इसे चौटाला परिवार की राजनीतिक वापसी के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह रैली हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार के लिए ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व रखेगी।
रैली का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद चौटाला परिवार का पहला बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम होगा। आयोजन स्थल के रूप में रोहतक को चुना जाना अपने आप में रणनीतिक है, क्योंकि यह क्षेत्र परंपरागत रूप से कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, अभय चौटाला का दावा है कि अब हुड्डा का इस इलाके में कोई खास जनाधार नहीं बचा है। ऐसे में यह रैली न केवल श्रद्धांजलि सभा होगी, बल्कि हरियाणा की सियासत में चौटाला परिवार की ताकत दिखाने का मंच भी साबित हो सकती है।
हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण
रोहतक क्षेत्र ताऊ देवी लाल चौटाला का पारंपरिक गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन 1990 के दशक से यह इलाका भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके परिवार की मज़बूत पकड़ में आ गया। अभय चौटाला की यह रैली उसी ऐतिहासिक गढ़ में INLD की राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा और कांग्रेस ने भले ही इस रैली को महत्वहीन ठहराने की कोशिश की हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि INLD का यह प्रयास हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण खड़े कर सकता है और राज्य में क्षेत्रीय दलों की भूमिका को एक बार फिर मज़बूत बना सकता है।
भाजपा और कांग्रेस के विकल्प की तलाश
इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) प्रमुख अभय चौटाला ने इस रैली को व्यापक राजनीतिक स्वरूप देने के लिए कई अन्य राज्यों के दिग्गज नेताओं को आमंत्रित किया है। इनमें शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल, राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल, और जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी शामिल हैं। हालांकि, अभय चौटाला ने साफ़ किया है कि यह पहल किसी तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य उन नेताओं को एक साझा मंच पर लाना है जो भाजपा और कांग्रेस के विकल्प की तलाश में हैं। वर्तमान में हरियाणा की राजनीति में उत्पन्न शून्य को भरने के लिए इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) अपनी पुरानी राजनीतिक विरासत और चौटाला परिवार के अनुभव पर भरोसा कर रही है। अभय चौटाला की यह रणनीति कितनी सफल होगी, इसका निर्णय तो आने वाला समय करेगा, लेकिन इतना तय है कि आगामी चुनावों में INLD की भूमिका को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं होगा।
पार्टी को भारी राजनीतिक नुकसान
साल 2018 में चौटाला परिवार के अंदरूनी विवाद के बाद दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठन किया, जिससे इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) को बड़ा राजनीतिक झटका लगा। 2019 के विधानसभा चुनावों में JJP ने 10 सीटें जीतकर भाजपा के साथ सत्ता में साझेदारी की, लेकिन 2020 के किसान आंदोलन के दौरान भाजपा का साथ देने की वजह से पार्टी को भारी राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा। इसका नतीजा 2024 के विधानसभा चुनावों में साफ दिखा, जब JJP का वोट शेयर 14.8% से गिरकर मात्र 0.90% रह गया। वहीं, INLD ने दो सीटों पर जीत दर्ज करते हुए 4.14% वोट शेयर अपने नाम किया और राजनीतिक परिदृश्य में अपनी उपस्थिति का फिर से अहसास कराया।
हरियाणा की जनता अब केवल विकास और सुशासन के मुद्दों पर ही किसी दल को अवसर देने की मानसिकता बना रही है, और INLD इसी माहौल का लाभ उठाना चाहती है। अभय चौटाला की यह पहल न केवल पार्टी को पुनर्जीवित कर सकती है बल्कि हरियाणा की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत भी कर सकती है, जो राज्य की राजनीति को एक अलग दिशा दे सकता है।