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हरियाणा में पराली जलाने वालों पर अधिकारियों की रहेगी पैनी नजर, MSP पर नहीं बिकेगी फसल

Haryana News: हरियाणा सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। राज्य में अब पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस दिशा में ताजा उदाहरण कुरुक्षेत्र जिले से सामने आया है, जहां सरकार ने इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाए हैं।

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हरियाणा में पराली जलाने वालों पर अधिकारियों की रहेगी पैनी नजर, MSP पर नहीं बिकेगी फसल 

Hindi News Line: हरियाणा में पराली जलाने पर सरकार की सख्ती का पहला उदाहरण सामने आया है। कुरुक्षेत्र जिले के अजरावर गाँव में एक किसान ने दो एकड़ खेत में फसल अवशेष जलाए, जिस पर कृषि विभाग ने तुरंत कार्रवाई की। विभाग ने किसान पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया, साथ ही पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई। यही नहीं, किसान के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ कर दी गई है। इस वजह से अब अगले दो वर्षों तक वह अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं बेच पाएगा। यह कदम सरकार के पराली जलाने पर अंकुश लगाने की दिशा में कड़े रुख को दर्शाता है।

सरकारी योजनाओं और लाभों का फायदा नहीं मिलेगा 

‘रेड एंट्री’ का अर्थ है कि किसान का नाम सरकारी रिकॉर्ड में डिफॉल्टर के रूप में दर्ज कर दिया जाता है। इसके चलते किसान को अगले दो सालों तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल बेचने का हक नहीं मिलता। इतना ही नहीं, इस एंट्री के बाद किसान को सरकारी योजनाओं और लाभों का फायदा लेने में भी कठिनाई आ सकती है। सरकार का यह कदम अन्य किसानों के लिए एक कड़ा संदेश है कि पराली जलाने जैसी गलती बेहद महंगी साबित हो सकती है। कृषि विभाग ने जिले के गांवों को जोखिम के आधार पर श्रेणियों में विभाजित कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, गुमथला, गहू और किरमिच गांवों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्र यानी ‘रेड जोन’ में रखा गया है, जबकि 20 अन्य गांव ‘यलो जोन’ यानी मध्यम जोखिम वाले क्षेत्र में शामिल हैं।

सेटेलाइट इमेजरी के जरिए भी खेतों की लगातार मॉनिटरिंग

इस घटना के बाद कृषि विभाग ने निगरानी व्यवस्था को और सख्त कर दिया है। जिले के करीब 54 हजार किसानों पर नजर रखने के लिए 666 अधिकारियों और कर्मचारियों की विशेष टीम तैनात की गई है। साथ ही, पराली जलाने की घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सेटेलाइट इमेजरी के जरिए भी खेतों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है, ताकि आग लगने की किसी भी घटना का तुरंत पता लगाया जा सके और समय रहते रोकथाम हो सके।

रेड जोन में निगरानी और सख्ती सबसे अधिक है। यहां हर 50 किसानों पर एक अधिकारी की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि किसी भी पराली जलाने की घटना को तुरंत रोका जा सके। जिले के अन्य क्षेत्रों में निगरानी थोड़ी ढीली है, जहां हर 100 किसानों पर एक अधिकारी तैनात किया गया है। इस कदम से विभाग का उद्देश्य आग लगने की घटनाओं पर तेज और प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करना है। 

प्रदूषण रोकने के प्रति सरकार गंभीर

हरियाणा के कुरुक्षेत्र का यह मामला पराली जलाने वालों को संदेश देता है कि इस बार पराली जलाने पर सरकार कोई रियायत नहीं देने वाली है। सीधे जुर्माने और पुलिस केस के अलावा ‘रेड एंट्री’ जैसे कड़े दंड ने यह दर्शाया कि प्रदूषण रोकने के प्रति सरकार गंभीर है। हालांकि, यह भी सवाल उठता है कि क्या केवल सख्ती से ही समस्या का समाधान संभव होगा। किसानों को पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त और सस्ते विकल्प उपलब्ध कराना भी उतना ही जरूरी है। आने वाले दिनों में यह देखा जाएगा कि यह दंडात्मक रवैया कितना प्रभावी साबित होता है और किसानों तक वैकल्पिक समाधान कितने सफलतापूर्वक पहुंचते हैं।

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