UP News: गंगा एक्सप्रेसवे के पास बनेगा नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, किसानों ने कराये जमीन के बैनामे

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेसवे के बाद अब एक और नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किया जाना है. उत्तर प्रदेश की आर्थिक तस्वीर इस कॉरिडोर के बाद बदली हुई नजर आने वाली है. उत्तर प्रदेश में फिलहाल मौजूदा समय में कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है इसमें से मेरठ में गंगा एक्सप्रेसवे का काम लगभग जल्द ही पूरा होने वाला है. सूबे की योगी सरकार इस एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक कल्याण विकसित करना चाहती है. लेकिन जिला प्रशासन को इस परियोजना को धरातल पर प्राप्त करने के लिए पर्याप्त जमीन मिल पाना एक बड़ी चुनौती बन गया है. काफी मीना से भूमि की खरीद लेनदेन पर रोक लगी हुई है।
नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित होगा
उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेसवे के बाद अब एक और नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किया जाना है. उत्तर प्रदेश की आर्थिक तस्वीर इस कॉरिडोर के बाद बदली हुई नजर आने वाली है. उत्तर प्रदेश में फिलहाल मौजूदा समय में कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है इसमें से मेरठ में गंगा एक्सप्रेसवे का काम लगभग जल्द ही पूरा होने वाला है. सूबे की योगी सरकार इस एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक कल्याण विकसित करना चाहती है. लेकिन जिला प्रशासन को इस परियोजना को धरातल पर प्राप्त करने के लिए पर्याप्त जमीन मिल पाना एक बड़ी चुनौती बन गया है. काफी मीना से भूमि की खरीद लेनदेन पर रोक लगी हुई है.
जमीन की आवश्यकता
मेरठ प्रशासन को गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन की आवश्यकता है। पहले चरण के लिए 214 हेक्टेयर जमीन चाहिए, लेकिन अभी तक केवल 150 हेक्टेयर प्राप्त हुए हैं। किसान नौ महीने से धरना दे रहे हैं और दूसरे चरण के लिए जमीन देने को तैयार नहीं हैं। भूमि व्यवस्था प्रशासन का काम है। गंगा एक्सप्रेसवे और उसके किनारे बनाया जाने वाला औद्योगिक गलियारा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। जबकि गंगा एक्सप्रेसवे लगभग पूरा होने वाला है, जिला प्रशासन को औद्योगिक गलियारा के लिए जमीन की व्यवस्था करना मुश्किल है।
जल्द से जल्द जमीन की व्यवस्था करने का आदेश
पहले चरण में 214 हेक्टेयर सरकारी जमीन की खरीद और पुनर्गठन की जरूरत है, लेकिन अभी तक 150 हेक्टेयर जमीन की व्यवस्था ही हुई है। जमीन खरीद पिछले कुछ महीने से बंद है। भूमि व्यवस्था प्रशासन का काम है। वहीं दूसरे चरण के लिए किसानों ने 300 हेक्टेयर जमीन देने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है। 9 महीने से वे इसके खिलाफ धरना दे रहे हैं। शासन और यूपीडा ने जल्द से जल्द जमीन की व्यवस्था करने का आदेश दिया है। हाल ही में डीएम ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की थी। यही कारण है कि सोमवार को तहसील प्रशासन ने 17 किसानों से 9 बैनामों के माध्यम से 9 हेक्टेयर जमीन के बैनामे कराए। औद्योगिक गलियारा के दूसरे चरण के लिए 300 हेक्टेयर भूमि तीन गांवों में अधिग्रहित है। लेकिन इस घोषणा के बाद तीनों गांवों के किसानों ने किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने का ऐलान करके धरना शुरू कर दिया। पिछले साढ़े नौ महीने से यह धरना जारी है।
7 किसानों से 9 बैनामों के माध्यम से 9 हेक्टेयर जमीन खरीद गई
डीएम की बैठक के बाद तहसील प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की और सोमवार को 17 किसानों से 9 बैनामों के माध्यम से 9 हेक्टेयर जमीन खरीद ली। अब तक 159 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई है। औद्योगिक गलियारों का कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर है, जो राज्य के सभी 12 जिलों में बनाए गए हैं। प्रथम चरण का क्षेत्रफल 214 हेक्टेयर है। जो एक साल से अधिक समय से जमीन खरीदने की प्रक्रिया में है। पिछले कुछ महीनों से जमीन खरीद नहीं हुई है। किसानों के पास 203 हेक्टेयर जमीन खरीदनी है। इस 203 हेक्टेयर जमीन में से 143 हेक्टेयर जमीन की खरीद के बाद करवाई दिल्ली पड़ गई थी. अब तक केवल 11 में से 7 हेक्टेयर सरकारी जमीन का पुनर्गठन हो सका है.