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UP News: उत्तर प्रदेश में बदले चकबंदी के नियम,किसानों से लेना होगा लिखित निर्णय, अब लागू होंगे नए नियम

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण सूचना जारी की है। अब प्रदेश में चकबंदी (Consolidation of holdings) के नियमों में बदलाव किया गया है। जिससे किसानों को नई व्यवस्था के तहत अपनी जमीन को लेकर और भी आसानी होगी।

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UP News: उत्तर प्रदेश में बदले चकबंदी के नियम,किसानों से लेना होगा लिखित निर्णय, अब लागू होंगे नए नियम

Uttar Pradesh News: चकबंदी (Consolidation of holdings) एक प्रक्रिया है जिसके तहत किसी किसान के अलग-अलग जगहों पर बिखरे छोटे-छोटे खेतों को एक साथ मिलाकर बड़ा खेत बनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य खेती-बाड़ी को आसान बनाना, पैदावार बढ़ाना और जमीन से जुड़ी विवादों को कम करना है। इस प्रक्रिया में पहले जमीन का सर्वेक्षण किया जाता है, फिर खेतों की कीमत तय की जाती है और अंततः हर किसान को उनके हिस्से के आधार पर एक या अधिक बड़े खेत दिए जाते हैं।

चकबंदी के नियमों में बदलाव

उत्तर प्रदेश में चकबंदी के नियमों में बदलाव किया गया है। नई व्यवस्था के अनुसार, अब किसी गांव में चकबंदी प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब वहां के 75 प्रतिशत किसान लिखित रूप से इसकी सहमति दें। इसका उद्देश्य किसानों की सहमति सुनिश्चित करना और प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना है। यूपी में चकबंदी के नियम बदल गए हैं। अब प्रक्रिया गांव के 75% किसानों द्वारा लिखित रूप से देने के बाद ही शुरू होगी।

जमीन अधिग्रहण

प्रदेश के किसी भी राजस्व ग्राम में चकबंदी तभी होगी जब गांव के 75% किसान लिखित सहमति देंगे। मुख्यालय स्तर से सभी जिलाधिकारियों को इस बारे में सूचना दी गई है। अब तक, चकबंदी के लिए ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत के चुने हुए सदस्यों के बहुमत से भेजा गया प्रस्ताव भी मान्य होता था। उत्तर प्रदेश में कुल 1,07,529 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें से 6,974 गांव ऐसे हैं जहां अब तक एक भी बार चकबंदी की प्रक्रिया नहीं हो पाई है। चकबंदी विभाग के अनुसार इनमें से केवल 1767 गांव अब चकबंदी कर सकते हैं। शेष गांवों में पहाड़ी जमीन, नदी के कटान वाले गांव, बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण वाले गांव और वनभूमि का अधिकांश भाग होने से चकबंदी नहीं हो सकती।

गांवों में अक्सर चकबंदी की प्रक्रिया का विरोध

चकबंदी विभाग कहता है कि किसानों की सुविधा के लिए चकबंदी की जाती है। गांवों में अक्सर चकबंदी की प्रक्रिया का विरोध होता है। केस भी होते हैं। यही कारण है कि सभी जिलाधिकारियों को यह निर्देश भेजा गया है कि चकबंदी की प्रक्रिया शुरू करने से पहले गांव के 75% गाटा संख्या धारकों, यानी किसानों, की सहमति ली जाए। यह समझौता लिखित रूप में होगा और किसानों से भरवाने के लिए एक प्रारूप भी जिलाधिकारियों को भेजा गया है।

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