राजस्थान के किसानों की होगी खूब कमाई, बदलने वाली है किस्मत
Rajasthan News: बांसवाड़ा जिले के किसानों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर आई है। अब जिले के नगदाला गांव में एथेनॉल उत्पादन संयंत्र (Ethanol Plant) स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना से गन्ना और मक्का जैसे फसलों की खेती करने वाले किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
Nagdala Ethanol Production Plant: बांसवाड़ा जिले के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब जिले के नगदाला गांव में एथेनॉल उत्पादन प्लांट स्थापित किया जाएगा, जिससे स्थानीय गन्ना और मक्का उत्पादक किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी की उम्मीद है। यह परियोजना केंद्र सरकार की हरित ऊर्जा मिशन के तहत शुरू की जा रही है, जो प्रदेश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता और ग्रामीण औद्योगिकीकरण की दिशा में अहम कदम साबित होगी।
दो लाख लीटर एथेनॉल प्रतिदिन का होगा उत्पादन
प्रस्तावित प्लांट की क्षमता 200 किलोलीटर प्रतिदिन (KLPD) यानी करीब दो लाख लीटर एथेनॉल उत्पादन की रहेगी। इस संयंत्र के शुरू होने से जिले के गन्ना, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों को स्थानीय बाजार मिलेगा। अब किसानों को अपनी फसलों के लिए दूर के मंडियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हालांकि, अधिकारियों के अनुसार, बांसवाड़ा में गन्ना उत्पादन सीमित है, इसलिए संयंत्र को आवश्यक कच्चा माल पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश, गुजरात और दक्षिण राजस्थान से भी मंगाना पड़ सकता है।
ऐसे तैयार होता है एथेनॉल
एथेनॉल एक जैव ईंधन (Biofuel) है, जो मुख्य रूप से गन्ना और मक्का से बनाया जाता है।
गन्ने से एथेनॉल उत्पादन प्रक्रिया
गन्ने का रस या शीरा लेकर उसमें खमीर (Yeast) मिलाया जाता है।
यह प्रक्रिया शर्करा को फर्मेंटेशन द्वारा एथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देती है।
फिर डिस्टिलेशन और डिहाइड्रेशन प्रक्रिया से शुद्ध एथेनॉल (99.5%) प्राप्त होता है।
1 टन गन्ने से करीब 70 लीटर और 1 टन शीरे से लगभग 250 लीटर एथेनॉल बनता है।
मक्का से एथेनॉल उत्पादन प्रक्रिया
मक्का को पीसकर उसमें एंजाइम मिलाए जाते हैं ताकि स्टार्च को ग्लूकोज में बदला जा सके।
इसके बाद फर्मेंटेशन से एथेनॉल में परिवर्तन किया जाता है।
1 टन मक्का से करीब 380 लीटर एथेनॉल तैयार होता है।
फैक्ट फाइल
दैनिक उत्पादन क्षमता: 2 लाख लीटर
वार्षिक उत्पादन क्षमता: 7.3 करोड़ लीटर
गन्ने की सालाना मांग: 9.7 लाख टन
गन्ने की खेती क्षेत्र: 10 हेक्टेयर
औसत उत्पादन: लगभग 1000 टन प्रतिवर्ष
वाहनों में बढ़ रहा एथेनॉल उपयोग
वर्तमान में केंद्र सरकार की एथेनॉल ब्लेंडिंग नीति के तहत पेट्रोल में 20% तक एथेनॉल (E-20) मिलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य पेट्रोलियम पर निर्भरता घटाना और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना है। एथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और विदेशी तेल आयात पर निर्भरता घटेगी।
मल्टी-फीडस्टॉक मॉडल और पर्यावरण संरक्षण
नगदाला का यह संयंत्र मल्टी-फीडस्टॉक मॉडल पर आधारित होगा, जिसमें गन्ना, मक्का और अन्य अनाज मुख्य कच्चा माल होंगे। प्लांट में जल पुनर्चक्रण प्रणाली, प्रदूषण नियंत्रण इकाई और शून्य डिस्चार्ज नीति लागू की जाएगी। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
विशेषज्ञों की राय
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बांसवाड़ा में गन्ना उत्पादन सीमित होने के बावजूद यह परियोजना किसानों के लिए वरदान साबित होगी। मक्का जैसी फसलों की औद्योगिक मांग बढ़ेगी, जिससे किसानों को नए बाजार और स्थायी आय के स्रोत मिलेंगे। यह परियोजना न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करेगी, बल्कि राजस्थान को हरित ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित होगी।
