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Jalore-Jhalawar Expressway: राजस्थान में बनेगा 402 किमी का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, जानिए लागत और रूट

राजस्थान में हाल ही में घोषणा किए गए 9 एक्सप्रेसवे में से सबसे लंबा एक्सप्रेसवे जालौर से झालावाड़ के बीच बनाया जाएगा. यह प्रोजेक्ट प्रदेश की अर्थव्यवस्था, रोजगार, व्यापार और पर्यटन को मजबूती देगा. आइये प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताएंगे.
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Jalore-Jhalawar Expressway: राजस्थान में बनेगा 402 किमी का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, जानिए लागत और रूट

Jalore-Jhalawar Greenfield Expressway: राजस्थान में कनेक्टिविटी के लिहाज से आने वाला समय बेहतर होने वाला है. माना जा रहा है कि साल 2030 तक प्रदेश में कुछ नए एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. अभी के समय इन प्रोजेक्ट को लेकर डीपीआर (detail project report) बनाने का कार्य पूरा किया जा रहा है. हाल ही में राजस्थान सरकार ने जालौर-झालावाड़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने की घोषणा की थी. एक्सप्रेसवे के डिजाइन, एलाइनमेंट और ड्राइंग इत्यादि कार्यों को निपटाया जा रहा है. झालावाड़ और हाड़ौती को हाई स्पीड से कनेक्ट करने वाला ये पहला एक्सप्रेसवे होगा. प्रदेश का झालावाड़ जिला मध्य प्रदेश की सीमा को छूता है. एक्सप्रेसवे के जरिए मारवाड़ इलाके से मध्य प्रदेश पहुंचना भी आसान हो जाएगा.

जालौर-झालावाड़ एक्सप्रेसवे लागत और लंबाई

राज्य सरकार द्वारा बजट में घोषित किए गए 9 एक्सप्रेसवे में से जालौर-झालावाड़ एक्सप्रेसवे सबसे लंबा है. इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 402 किलोमीटर है. जालौर-झालावाड़ एक्सप्रेसवे की शुरुआती अनुमानित लागत 16260 करोड रुपए आंकी की गई है. जालौर और झालावाड़ दोनों ही जिलों की संस्कृति और पहचान अलग-अलग है. नई एक्सप्रेसवे से जरिये दोनों क्षेत्र नजदीक आएंगे. मारवाड़ क्षेत्र रेगिस्तानी इलाका है तो हाड़ौती कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है. यह हाई स्पीड रूट दोनों ही क्षेत्रों के व्यापार को फायदा पहुंचाएगा.

कहां से निकलेगा एक्सप्रेसवे

कुछ जानकारों का मानना है की जालौर और झालावाड़ के बीच बनने वाला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे  सिरोही उदयपुर, चित्तौड़, बेगू, बिजौलिया, रावतभाटा, मोडक और चेचट इत्यादि क्षेत्रों से निकाला जा सकता है. अलग-अलग क्षेत्र के लोगों की उम्मीद तो जाग सही है कि एक्सप्रेसवे कहां से निकलेगा. परंतु अभी तक आधिकारिक रूप से एक्सप्रेसवे रूट को लेकर कोई तरह की घोषणा नहीं की गई है. जालौर और आसपास के जिलों के किसान मध्य प्रदेश की कुछ कृषि उपज मंडियो में फसल लेकर जाते हैं. इस नए एक्सप्रेसवे से उनका सफर कम समय और खर्चे में पूरा हो सकेगा.

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे क्या है?

राजस्थान में एक्सप्रेसवे बनाने को लेकर की गई घोषणाओं में आपने ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे (Green Field Expressway) नाम सुना होगा. जालौर झालावाड़ एक्सप्रेसवे को भी ग्रीन फील्ड बनाया जाएगा. परंतु क्या आपको पता है कि ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे क्या है? ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उन्हें बोला जाता है जो शहरों से दूर हरे भरे मैदाने और खेतों के बीच से बनाए जाते हैं. समतल जमीन पर निर्माण हुए ये ग्रीन फिल्ड एक्सप्रेसवे भीड़भाड़ कम होने के कारण सफऱ में एक निर्धारित स्पीड को बनाए रखने में मददगार होते हैं.

एक्सप्रेसवे बनाने की प्रक्रिया

- राज्य सरकार फिजिबिलिटी को लेकर निर्णय लेती है.

- प्रोजेक्ट को कितना ट्रैफिक मिलेगा इसके लिए सर्वे किया किया जाता है.

- किसानों से जमीन अधिग्रहण के लिए बातचीत की जाती है.

- वन संरक्षण क्षेत्रों से एक्सप्रेसवे बनाने की विभाग से मंजूरी लेनी पड़ती है.

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