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UP के इस जिले में 13 गांवों की जमीन अधिग्रहण करके बनेगा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, रजिस्ट्री शुरू

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में औद्योगिक विकास को नई दिशा देने वाली परियोजना अब गति पकड़ चुकी है। तहसील के कई गांवों में लगभग एक हजार एकड़ भूमि चिह्नित की गई है, जिनमें से करीब 369 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है। कॉरिडोर पूर्वांचल के जिलों को औद्योगिक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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UP के इस जिले में 13 गांवों की जमीन अधिग्रहण करके बनेगा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, रजिस्ट्री शुरू 

UP News: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में औद्योगिक विकास को नई दिशा देने वाली गाजीपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना अब गति पकड़ चुकी है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से सटी इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य तेज हो गया है। मुहम्मदाबाद तहसील के कई गांवों में लगभग एक हजार एकड़ भूमि चिह्नित की गई है, जिनमें से करीब 369 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है। शेष लगभग 631 एकड़ भूमि को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया जारी है।

एक्सप्रेसवे के किनारे उद्योगों के विकास को मिलेगा बढ़ावा

गाजीपुर के मुहम्मदाबाद क्षेत्र में प्रस्तावित यह इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के बिल्कुल नजदीक विकसित किया जा रहा है, जिससे भविष्य में यहां स्थापित होने वाले उद्योगों को बेहतर सड़क संपर्क के साथ-साथ तेज माल परिवहन की सुविधा मिलेगी। इस परियोजना को उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) आगे बढ़ा रहा है। यूपीडा के सहयोग से बन रहा यह कॉरिडोर पूर्वांचल के जिलों को औद्योगिक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके माध्यम से छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार होगा और युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।

भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में

गाजीपुर के उद्योग विभाग के उपायुक्त प्रवीण मौर्य के अनुसार, भूमि अधिग्रहण तेजी से आगे बढ़ रहा है और जिन भू-स्वामियों की जमीन परियोजना में शामिल की जा रही है, उन्हें उचित मुआवजा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अधिग्रहण पूरा होते ही कॉरिडोर के निर्माण कार्य में और तेजी आ जाएगी। सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए किए गए पारदर्शी प्रयासों के कारण अधिकतर किसानों ने अपनी जमीन देने पर सहमति जताई है। कुछ स्थानों पर आपत्तियाँ भी दर्ज की गई थीं, लेकिन विभाग के हस्तक्षेप के बाद अधिकांश मामलों का समाधान किया जा चुका है।

पूर्वांचल में रोजगार और औद्योगिक गतिविधियों को मिलेगा बढ़ा प्रोत्साहन

गाजीपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के बनने से पूर्वांचल के कारीगरों और युवाओं को बड़े शहरों के चक्कर लगाने की आवश्यकता कम होगी। फिलहाल वाराणसी, गाजीपुर, मऊ, बलिया, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़ और गोरखपुर जैसे जिलों के बड़ी संख्या में युवा रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, आगरा, सूरत, अहमदाबाद और बेंगलुरु जैसे औद्योगिक केंद्रों की ओर पलायन करते हैं। लेकिन इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के विस्तृत अवसर उपलब्ध होंगे।

औद्योगिक इकाइयों के लिए बड़े पैमाने पर जमीन उपलब्ध होने से इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फूड प्रोसेसिंग, कपड़ा उद्योग, कृषि आधारित उद्योग और पैकेजिंग यूनिट्स जैसे कई क्षेत्रों में निवेश की संभावना बढ़ेगी। इससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियाँ भी मजबूत होंगी।

पूर्वांचल के आर्थिक विकास में नया अध्याय

गाजीपुर और आसपास के जिलों में यह परियोजना एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के विकसित होने से न केवल स्थानीय उद्योग को मजबूती मिलेगी, बल्कि राज्य सरकार की निवेश आकर्षित करने की नीति को भी गति मिलेगी। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पहले ही इस क्षेत्र को लखनऊ और दिल्ली से तेजी से जोड़ता है, जिससे व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि की संभावना और भी बढ़ती है।

यूपीडा के अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य शुरू होते ही बड़ी कंपनियाँ निवेश के प्रस्ताव लेकर आगे आएंगी। साथ ही कारीगरों, मजदूरों, इंजीनियरों और स्थानीय युवाओं के लिए हजारों रोजगार पैदा होंगे। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही पूर्वांचल को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखती हैं, और गाजीपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर इस दिशा में एक मजबूत आधार साबित होगा।

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