DAP, TSP, SSP और NPK में क्या है अंतर, किसानों को किस खाद से मिलेगा तगड़ा फायदा

Hindi News Line : खेती में मिट्टी और फसल की सेहत बनाए रखने के लिए सही उर्वरक का चयन करना सबसे जरूरी होता है। भारत में DAP, TSP, SSP और NPK जैसी प्रमुख रासायनिक खादों का प्रयोग बहुत सामान्य है। वैसे भी हर उर्वरक की अपनी खासियत होती है, और किसान इन्हें अपनी मिट्टी की जांच रिपोर्ट, फसल के प्रकार और मौसम के अनुसार इस्तेमाल करते हैं।
DAP से होने वाले फायदे
सबसे पहले DAP (Diammonium Phosphate) fertilizer नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसमें नाइट्रोजन 18% और फॉस्फोरस 46% होता है। DAP फसल की शुरुआती वृद्धि के लिए बहुत लाभदायक है क्योंकि यह पौधों की जड़ों तक जल्दी पोषण पहुंचाता है। अक्सर गेहूँ, मक्का और सरसों जैसी फसलों में DAP का प्रयोग शुरुआती चरण में किया जाता है।
ट्रिपल सुपर फॉस्फेट
TSP (Triple Super Phosphate) केवल फॉस्फोरस का उर्वरक होता है। इसमें फॉस्फोरस की मात्रा करीबन 46% तक होती है। यह जड़ों की वृद्धि और बीज का स्वस्थ विकास सुनिश्चित करता है। यदि मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी आती है, तो TSP या ट्रिपल सुपर फॉस्फेट का उपयोग फसल को मजबूती देने के लिए किया जा सकता है।
सिंगल सुपर फॉस्फेट
SSP (Single Super Phosphate) फॉस्फोरस के साथ-साथ कैल्शियम और सल्फर भी मिलता है। इसमें फॉस्फोरस की मात्रा करीबन 16% होती है। यह फसल में कैल्शियम और सल्फर मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करते हैं। इसलिए SSP या सिंगल सुपर फॉस्फेट उन खेतों में फायदेमंद होती है, जहां मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कमी आ जाती है।
NPK मिश्रित (10:26:26)
NPK (Nitrogen-Phosphorus-Potassium) एक मिश्रित उर्वरक तीनों मुख्य पोषक तत्वों को संतुलित मात्रा में उपलब्ध करवाता है। उदाहरण के लिए NPK (10:26:26) में नाइट्रोजन 10%, फॉस्फोरस 26% और पोटाश 26% पाया जाता है। यह मिश्रित उर्वरक फसल को संपूर्ण पोषण और मिट्टी में किसी भी प्रकार की कमी को जल्दी पूरा करता है।
किसानों के लिए सबसे असरदार उर्वरक का चुनाव मिट्टी जांच रिपोर्ट, फसल का प्रकार और पोषक संतुलन पर निर्भर करता है। यदि मिट्टी में किसी एक तत्व की कमी होती है, तो DAP, TSP या SSP अलग से इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, संतुलित पोषण के लिए NPK मिश्रित उर्वरक फसल को बेहतर बढ़ोतरी देने में मदद करता है।
खाद का नाम | पोषक तत्व | मात्रा | फायदा | मिट्टी |
DAP (Diammonium Phosphate) | नाइट्रोजन + फॉस्फोरस | N 18% + P₂O₅ 46% | पौधों की जड़ और शुरुआती वृद्धि में सहायक, घुलनशील | सरसों की मिट्टी में नाइट्रोजन या फॉस्फोरस की कमी |
TSP (ट्रिपल सुपर फॉस्फेट) | फॉस्फोरस | P₂O₅ 46% | जड़ों की मजबूत वृद्धि के साथ बीज अंकुरण में सहायक |
मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी |
SSP (सिंगल सुपर फॉस्फेट) | फॉस्फोरस + कैल्शियम + सल्फर | P₂O₅ 16% + Ca + S | मिट्टी में कैल्शियम और सल्फर की कमी | मिट्टी में कैल्शियम या सल्फर की कमी; सभी सामान्य फसलें |
NPK मिश्रित (10:26:26) | नाइट्रोजन + फॉस्फोरस + पोटाश | N 10% + P₂O₅ 26% + K₂O 26% | मिट्टी और फसल दोनों के लिए उपयुक्त | सभी फसलों में संतुलित पोषण |
इन बातों का रखें खास ध्यान
इसके साथ साथ किसानों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यूरिया, MOP (म्यूरिएट ऑफ पोटाश) और ZnSO₄ जैसे उर्वरक भी मिट्टी और फसल के पोषण के लिए जरूरी हैं। उदाहरण के लिए, मूंगफली या चावल में जिंक की कमी होने पर ZnSO₄ का उपयोग फायदेमंद रहता है।
सरकारी PAU एडवाइजरी और फसल एडवाइजरी रिपोर्टों के अनुसार, संतुलित उर्वरक उपयोग से फसल की पैदावार 15-20% तक बढ़ सकती है। जैविक खाद जैसे कम्पोस्ट या एज़ोबैक्टर के साथ DAP या NPK का मिलाकर उपयोग मिट्टी की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है।
किसान अपनी मिट्टी की जांच रिपोर्ट और फसल के अनुसार DAP, TSP, SSP या NPK का सही चुनाव किया जा सकता हैं। संतुलित पोषण देने वाला NPK मिश्रित उर्वरक आमतौर पर सबसे असरदार होता है, लेकिन मिट्टी में किसी विशेष पोषक तत्व की कमी होने पर सिंगल सुपर फॉस्फेट या DAP का उपयोग फसल बढ़ोतरी के लिए जरूरी है।