Mustard cultivation: सरसों की ये 3 किस्में कम लागत में देगी ज्यादा मुनाफा, कुछ बातों का रखे खास ध्यान
Mustard Varieties: सरसों की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें कम लागत लगती है और उचित देखवाल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। सही किस्म और समय पर बुवाई से किसान अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं और अधिक लाभ हासिल कर सकते हैं।

Mustard Farming : सितंबर और अक्टूबर का महीना सरसों की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। रबी फसल सीजन की शुरुआत होते ही किसान सरसों की बुआई शुरू कर सकते हैं। यह फसल न केवल कम लागत में तैयार होती है बल्कि बाजार में इसके तेल और खली की हमेशा मांग बनी रहती है। उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी जिला सरसों उत्पादन के लिए खास पहचान रखता है। यह फसल रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसलों में गिनी जाती है।
अगेती सरसों की बुआई
यहां किसान बड़े पैमाने पर काली और पीली सरसों दोनों की खेती करते हैं। खासकर पीली सरसों की खेती के लिए सितंबर का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। कृषि वैज्ञानिक प्रदीप बिसेन बताते हैं कि सितंबर और अक्टूबर का समय सरसों की खेती शुरू करने के लिए परफेक्ट है। रबी का सीजन शुरू होते ही अगेती सरसों की बुआई की जाती है। सरसों की खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इसकी खेती शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले सही किस्म का चुनाव करें और खेत में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करें। सितंबर से अक्टूबर के बीच बुआई करने पर अच्छी पैदावार मिलती है। हल्की से मध्यम दोमट मिट्टी सरसों की खेती के लिए आदर्श मानी जाती है।
सही किस्म का चुनाव
सरसों की खेती के लिए सही किस्म का चुनाव किसानों को बेहतर उत्पादन और मुनाफा दिला सकता है। RH-761 किस्म की खासियत यह है कि इसमें सिंचाई की जरूरत कम पड़ती है और यह पाले के प्रति सहनशील होती है। इस किस्म से किसानों को लगभग 25 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन मिल सकता है। बुआई के लगभग 45 से 55 दिन बाद इसमें फूल आने लगते हैं और यह फसल 136 से 145 दिन में पूरी तरह तैयार हो जाती है।
गिरिराज किस्म
इसके अलावा, सरसों की गिरिराज किस्म भी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह किस्म 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है। खास बात यह है कि यह कम लागत में अधिक मुनाफा दिलाती है। बुवाई से लेकर तैयार होने तक इसका समय लगभग 130 से 150 दिन का होता है।
तराई क्षेत्र के लिए पूसा सरसों 25 सबसे उपयुक्त किस्म मानी जाती है। इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होने की संभावना रहती है। इस किस्म की पैदावार लगभग 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बुवाई के 107 दिनों के भीतर फसल तैयार हो जाती है, इसलिए यह कम समय में पकने वाली किस्म के रूप में भी जानी जाती है।