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किसानों के लिए वरदान साबित होगी गेहूं की 'करन मंजरी' किस्म, कम पानी वाले इलाकों में मिलेगी 35 क्विंटल तक पैदावार

Wheat New Variety : भारत के कम सिंचाई वाले हिस्सों में खेती करने वाले किसानों के लिए DDW 55(D) – करन मंजरी गेहूं किस्मएक बेहतरीन विकल्प बनकर आई है। इस किस्म से सीमित सिंचाई की स्थिति में भी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है और तीलिया, कंडुआ व रस्ट जैसे मुख्य रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है। अक्टूबर से नवंबर के बीच बुवाई करने पर किसान 50–56 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन पा सकते हैं। 
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किसानों के लिए वरदान साबित होगी गेहूं की 'करन मंजरी' किस्म, कम पानी वाले इलाकों में मिलेगी 35 क्विंटल तक पैदावार 

New Wheat Variety: रबी सीजन में गेहूं की बुवाई का समय नजदीक आने के साथ ही किसान गेहूं की अच्छी किस्म ढूँढने लगे है, जिससे शानदार पैदावार ली जा सकती है। इस बार कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार मध्य और उत्तर भारत के किसान DDW 55(D) गेहूं किस्म, जिसे ‘करन मंजरी’ (Karan Manjari) की बिजाई कर सकते है। इस किस्म से आपको शानदार उत्पादन (high yield Wheat Variety) मिलेगा और यह किस्म रोग प्रतिरोधी (disease resistant Wheat Variety) होती है।

कठिया गेहूं की ‘करन मंजरी’ किस्म 

DDW 55(D) यानी Karan Manjari Wheat Variety को खास तौर पर उन इलाकों के लिए विकसित किया गया है, जहां सिंचाई की सुविधा सीमित (limited irrigation Wheat Variety) होती है। यह किस्म मध्य भारत (central India Wheat Variety) और उत्तर भारत (northern India Wheat Variety) दोनों के किसानों के लिए उपयुक्त मानी गई है। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है ताकि किसानों को बेहतर उत्पादन और टिकाऊ फसल का एक शनदार विकल्प मिल सके।

बुवाई का सही समय और बीज 

इस गेहूं किस्म की बुवाई का सबसे उचित समय 20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक माना जाता है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, समय पर बुवाई करने से उत्पादन में 15–20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।

प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज (Wheat sowing time and seed rate) की जरूरत होती है। बुवाई से पहले बीज को टेबुकोनाजोल 2% DS @ 1 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करने की सलाह दी जाती है, ताकि फसल की शुरुआत से ही बीज जनित रोगों से सुरक्षा की जा सके।

उर्वरक और सिंचाई की जरूरत 

करन मंजरी गेहूं किस्म (Karan Manjari Wheat Variety) सीमित सिंचाई की स्थिति में भी अच्छा प्रदर्शन करती है। उर्वरक उपयोग के लिए 90:60:40 किलोग्राम NPK प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की गई है। आधी नाइट्रोजन बुवाई के समय और बाकी आधी 45–50 दिन बाद प्रथम नोड अवस्था में डालनी चाहिए।
सिंचाई के लिए बुवाई से पहले और फिर 45–50 दिन बाद दो बार पानी देना पर्याप्त होगा।

कितना मिलेगा उत्पादन 

कृषि परीक्षणों में के अनुसार DDW 55(D) ने अन्य लोकप्रिय किस्मों जैसे HW 8623, DDW 47 और HW 8823 की तुलना में बेहतर उपज देती है। सामान्य परिस्थितियों में यह 35–36 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है, जबकि उचित बुवाई और सिंचाई प्रबंधन के साथ उत्पादन 56 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन लिया जा सकता है।

रोग प्रतिरोध क्षमता और गुणवत्ता

यह किस्म तीलिया, कंडुआ, और रस्ट रोगों के प्रति मजबूत प्रतिरोध दिखाती है। परीक्षणों में रस्ट रोग की घटना मात्र 7%, तीलिया 3%, और कंडुआ 11% तक दर्ज की गई। इसके साथ साथ, यह पीली रस्ट और स्ट्रीक रोगों के खिलाफ भी सुरक्षा देती है।

DDW 55(D) में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, और इसके दानों का औसत वजन 52 ग्राम प्रति हजार दाने है, जो इसे एक उच्च गुणवत्ता वाली कठिया गेहूं किस्म (high yield & quality Wheat Variety) बनाता है।

किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण

करन मंजरी (Karan Manjari) किस्म उन किसानों के लिए खास फायदेमंद है जो सिंचाई की कमी वाले क्षेत्रों में खेती करते हैं। यह कम पानी में भी अच्छी फसल देती है और विपरीत परिस्थितियों में स्थिर उत्पादन बनाए रखती है।

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