Agriculture Tips: सरसों की इन किस्मों से मिलेगी दोगुनी पैदावार? किसान जरूर अभी जानें राज की बात!

Hindi News Line, Mustard Farming : रबी सीजन की दस्तक के साथ ही देशभर के किसान अब सरसों की खेती (mustard cultivation) की तैयारी में लग गए हैं। खासकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसान इस बार अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों पर ध्यान दे रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान सही बीज, उचित खाद और समय पर बुवाई का पालन करें, तो सरसों की उपज दोगुनी तक हो सकती है।
सरसों की उन्नत किस्में जो देगी तगड़ा मुनाफा
आज के समय में कई improved varieties of mustard विकसित की जा चुकी हैं, जो पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उपज और बेहतर तेल मात्रा देती हैं। इनमें प्रमुख हैं – Pusa Mustard-32 variety (Pusa Sarson 32), गिरिराज, आरएच-749, आरएच-1706, पूसा बोल्ड, और वरुणा (T-59)।
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Pusa Mustard-32 एक कम समय लेने वाली (short duration mustard crop) किस्म है, जो 115–120 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर (Pusa mustard yield per hectare) के अनुसार लगभग 20 से 22 क्विंटल तक हो पैदावार हो सकती है।
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गिरिराज किस्म में तेल की मात्रा ज्यादा होती है और यह रोगों के प्रति सहनशील मानी जाती है।
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आरएच-749 किस्म सिंचित और असिंचित दोनों परिस्थितियों में बढ़िया पैदावार देती है और लगभग 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
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वहीं पूसा बोल्ड मध्यम कद वाली किस्म है, जो सिंचित इलाकों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि किसान जलवायु और मिट्टी की स्थिति के अनुसार बीज का चयन करें तो यह फसल उत्पादन में बड़ा फर्क ला सकता है।
सरसों की खेती का सही तरीका
कृषि जानकारों (method of mustard cultivation) के अनुसार, सरसों की बुवाई के लिए दोमट या बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो। अधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी से बचना चाहिए। फसल की कटाई के बाद खेत को 2–3 बार कल्टीवेटर से जोतकर पाटा लगाना चाहिए ताकि नमी बनी रहे।
धान के खेत में सरसों की खेती (mustard farming after paddy) करने वाले किसान धान की कटाई के तुरंत बाद हल्की जुताई कर सकते हैं। एक हेक्टेयर खेत के लिए 5–6 किलोग्राम high yield mustard seed पर्याप्त होता है।
बुवाई करने के लिए सीड ड्रिल या सरिता मशीन का इस्तेमाल करें। कतार से कतार की दूरी 40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10–12 सेंटीमीटर रखें। बीज को लगभग 2–3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए ताकि अंकुरण समान रूप से हो सके।
उर्वरक और सिंचाई का प्लान
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि सरसों की बुवाई के लिए सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) खाद का उपयोग डीएपी की जगह किया जा सकता है। इससे मिट्टी में सल्फर की मात्रा बढ़ती है, जो तेलीय फसलों के लिए लाभकारी है। बुवाई के बाद पहली सिंचाई 25–30 दिन के अंदर करें और दूसरी सिंचाई फूल आने के समय।
कौन-सी किस्म सबसे शानदार?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सरसों की सबसे बेस्ट किस्म (best mustard variety in India) के रूप में Pusa Mustard-32 और आरएच-1706 तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। ये किस्में कम समय में तैयार होती हैं और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है। इनका तेल प्रतिशत भी अधिक रहता है, जिससे बाजार में इनकी मांग बढ़ जाती है।
कैसा रहेगा सरसों का बाजार
कृषि मंडियों से मिली ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन में सरसों की कीमतों में हल्की तेजी देखी जा रही है। कुछ मंडियों में भाव 7200 से 7800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। सरसों तेल और खली की बढ़ती मांग के कारण आने वाले हफ्तों में दाम और बढ़ने की संभावना है।
अगर किसान सरसों की खेती (mustard cultivation) तकनीक और उन्नत किस्म (improved varieties of mustard) लगाएं और उचित (method of mustard cultivation) का पालन करें, तो सरसों की फसल से उन्हें दोगुना मुनाफा मिल सकता है। सही किस्म का चयन और समय पर सिंचाई ही खेती को “सोना उगाने” जैसा लाभकारी बना सकती है।